मंगलवार, 30 अगस्त 2016

श्रीकृष्ण की 16,100 पत्नियाँ और 8 पटरानियाँ व उनके 80 पुत्र सम्पूर्ण जानकारी हिंदी में

भगवान श्री कृष्ण की 16,100 रानियां तथा 8 पटरानियां थी। जहां एक और महाभारत में सभी रानियों और पटरानियों से भगवान श्री कृष्ण द्वारा विवाह किये जाने की कथा दी गई हैं वहीं कई शास्त्रकार इन कथाओं में छिपे हुए गूढ़ रहस्य को बताते हैं। उनके अनुसार कृष्ण का अर्थ हैं अंधकार में विलीन होने वाला, सम्पूर्ण को अपने में समा लेने वाला। इसी प्रकार राधा शब्द भी धारा का उल्टा है। जहां धारा किसी स्रोत से  बहते हुये बाहर आती है वहीं राधा का अर्थ है वापिस अपने स्रोत में समा जाना। यही कारण है कि बिना विवाह के भी राधाकृष्ण युगल को हिंदू धर्मों में शिव-पार्वती जैसी पवित्र भावना के साथ देखा जाता है।




ये हैं श्री कृष्ण की 16,100 रानियां

 महाभारत तथा अन्य शास्त्रों व ढेर सारी  पुरानी कथाओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण की 8 पटरानियां एवं 16,100 रानियां थीं। विद्वानों के अनुसार कृष्ण की प्रमुख रानियां तो आठ ही थीं, शेष 16,100 रानियां तो बस प्रतीकात्मक थीं। इन 16,100 रानियों को वेदों की ऋचाएं माना गया है। ऐसा माना जाता है चारों वेदों में कुल एक लाख श्लोक हैं। इनमें से 80 हजार श्लोक यज्ञ के हैं, चार हजार श्लोक पराशक्तियों के हैं। शेष बचे 16 हजार श्लोक ही गृहस्थों या आम लोगों के उपयोग के अर्थात भक्ति के हैं और जन साधारण के लिए उपयोगी इन ऋचाओं को ही भगवान श्रीकृष्ण की 16100 रानियां माना गया है।






श्री कृष्ण की 8 पटरानियों ( पत्नियों ) व उनके पुत्रों के नाम

Krishna's 8 Wives and The Names of Their Sons


वस्तुतः भगवान श्री कृष्ण की पटरानियां 8 ही थीं। इनके नाम रुक्मणि, जाम्बवन्ती, सत्यभामा, कालिन्दी, मित्रवृंदा, सत्या, रोहिणी तथा लक्ष्मणा हैं। प्रत्येक पटरानी से उन्हें 10 पुत्रों की प्राप्ति हुई थी इस तरह से उनके 80 पुत्र थे। आज के इस लेख में हम आपको श्री कृष्ण की 8 रानियों और 80 पुत्रों के बारे में विस्तार से बताएँगे।


1. रुक्मणि

कृष्ण की प्रमुख  पहली पटरानी के रूप में रूक्मिणी का नाम लिया जाता है और ऐसा भी माना जाता है कि  रूक्मिणि ही माता लक्ष्मी जी का अवतार थीं। महाभारत के अनुसार कृष्ण ने रुक्मणि का हरण कर उनसे विवाह किया था। विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री रुक्मणि भगवान श्री कृष्ण से बहुत प्रेम करती थी तथा मन ही मन कृष्ण को अपना पति मानती थी और उनसे विवाह करना चाहती थी। रुक्मणि के पांच भाई थे- रुक्म, रुक्मरथ, रुक्मबाहु, रुक्मकेस तथा रुक्ममाली। रुक्मणि सर्वगुण संपन्न तथा अति सुन्दरी थी। उसके माता-पिता भी उसका विवाह कृष्ण के साथ करना चाहते थे किंतु उसका बड़ा भाई रुक्म चाहता था कि उसकी बहन का विवाह चेदिराज शिशुपाल के साथ हो। यही कारण था कि कृष्ण को रुक्मणि का हरण कर उनसे विवाह करना पड़ा।

 रुक्मणि के 10 पुत्रों के नाम :- प्रद्युम्न, चारूदेष्ण, सुदेष्ण, चारूदेह, सुचारू, विचारू, चारू, चरूगुप्त, भद्रचारू, चारूचंद्र।




2. कालिंदी

सूर्यपुत्री कालिन्दी कृष्ण की दूसरी पत्नी थी। इनकी तपस्या से प्रसन्न होकर कृष्ण ने इनसे विवाह किया था। कालिंदी, खांडव वन की रहने वाली थी और यही वह स्थान है जहा पांडवों ने अपना इंद्रप्रस्थ बनवाया था।

कालिंदी के 10  पुत्रों के नाम :- श्रुत, कवि, वृष, वीर, सुबाहु, भद्र, शांति, दर्श, पूर्णमास एवं सोमक।




3. मित्रविंदा

यह कृष्ण की तीसरी पटरानी थीं। मित्रविंदा, अवन्तिका ( उज्जैन ) की राजकुमारी थी। कृष्ण ने इन्हें इनके स्वयंवर में विजेता बनकर अपनी पटरानी बनाया था।

मित्रविंदा के 10 पुत्रों के नाम – वृक, हर्ष, अनिल, गृध, वर्धन, अन्नाद, महांश, पावन, वहिन तथा क्षुधि।




4. सत्या

कृष्ण की चौथी पटरानी सत्या राजा नग्नजित की पुत्री थी। इनके पिता की शर्त के मुताबिक कृष्ण ने सात बैलों को एकसाथ नथ करके इनसे विवाह किया था।

सत्या के बेटों के नाम ये थे :- वीर, अश्वसेन, चंद्र, चित्रगु, वेगवान, वृष, आम, शंकु, वसु और कुंत। 




5. जाम्बवंती

पांचवी पटरानी के रूप में कृष्ण यक्षराज जाम्बवंत की कन्या जामवन्ती को ब्याह कर लाए थे। जाम्बवंती, निषाद राज जाम्बवन की पुत्री थी। जाम्बवान उन गिने चुने पौराणिक पात्रों में से एक है जो रामायण और महाभारत दोनों के समय ही उपस्थित थे। रामायण काल में ये राम भगवान का साथ देते हुए रावण से लड़े थे जबकि महाभारत काल में इनकी कृष्ण से भी एक बार लड़ाई हुयी थी।

जाम्बवंती के 10 पुत्र ये थे :- साम्ब, सुमित्र, पुरूजित, शतजित, सहस्रजित, विजय, चित्रकेतु, वसुमान, द्रविड़ व क्रतु।




6. रोहिणि / भद्रा

कृष्ण की छठवीं पटरानी का नाम रोहिणी था। रोहिणी केकय / गय देश के राजा ऋतुसुकृत की पुत्री थी। इन्होंने ने कृष्ण को स्वयंवर में वर कर विवाह किया था।

ये थे रोहिणि / भद्रा के 10 पुत्र – संग्रामजित, वृहत्सेन, शूर, प्रहरण, अरिजित, जय, सुभद्र, वाम, आयु और सत्यक।




7. सत्यभामा  

कृष्ण की सातवीं रानी का नाम है सत्यभामा। वह राजा सत्राजित की पुत्री थी। उन्होंने कृष्ण तथा यादव राजवंश से मधुर संबंध बनाने के लिए ही अपनी पुत्री का विवाह कृष्ण से किया था।सत्राजीत को शक्तिसेन के नाम से भी जाना जाता है।

सत्यभामा के 10 पुत्रों के नाम :- भानु, सुभानु, स्वरभानु, प्रभानु, भानुमान, चंद्रभानु, वृहद्भानु, अतिभानु, श्रीभानु और प्रतिभानु।




8. लक्ष्मणा




कृष्ण की आठवीं पटरानी लक्ष्मणा मद्र कन्या लक्ष्मणा, वृहत्सेना की पुत्री थी। लक्ष्मणा ने भी स्वयंवर में ही कृष्ण को अपना पति मानकर उनसे विवाह किया था।

लक्ष्मणा के 10 पुत्रों के नाम :- प्रघोष, गात्रवान, सिंह, बल, प्रबल, ऊध्र्वग, महाशक्ति, सह, ओज एवं अपराजित।



श्री कृष्ण की 16100 रानियाँ

इनके अलावा श्री कृष्ण की जो 16100 और पत्नियां बताई जाती है। इन 16100 कन्याओं को नरकासुर नामक राक्षस ने अपने यहाँ बन्दी बना कर रख रखा था फिर इन्हें इन्द्र देव की प्रार्थना पर श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध कर मुक्त कराया था और अपने यहाँ आश्रय दिया था। उसके बाद  इन सभी कन्याओं ने श्री कृष्ण को पति स्वरुप मान लिया था। और कई लोगों का तो यह भी मानना है कि श्री कृष्ण अपनी सारी 16108 रानियों के पास खुद के 16108 रूप बना कर हमेशा रहते थे। जिससे सभी रानियों को ऐसी अनुभूति होती थी कि  कृष्ण उनके पास ही उपस्थित है


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2 टिप्‍पणियां:

  1. Sabhi 8 patraniyon ke 10_10 putra the, jinke naam bhi aapne bataye hai,magar sabhi heading me 8_8 putra likh rakhe hai.
    So,pl.correct kare.
    Jankari achchi lagi.Dhanywad.

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. Thanks Bro. for this Valuable on this Article. By Mistake Maine Heading me maine Bhagwan Shree Krishan ke 8-8 putra likh diye the but Aapke comment ke baad maine Apni mistake sudhar li hai...
      मुझे आशा है कि आप भविष्य में भी हमारे Blog से इसी तरह जुड़े रहेंगे और हमारे Blog कि छोटी - बड़ी गलतियों से हमें अवगत करवाते रहेंगे।

      हटाएं